
Uddhav Thackeray को Fadnavis का ऑफर सुनकर विधान परिषद में सब चौंक गए — क्या शिवसेना का बड़ा मोड़ आने वाला है?
सदन में उड़ा सन्नाटा: जब फडणवीस ने दिया ठाकरे को प्रस्ताव
महाराष्ट्र विधान परिषद बुधवार को उस वक्त चौंक गई जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सार्वजनिक रूप से सत्तापक्ष में आने का खुला ऑफर दे डाला। यह सब हुआ विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह के दौरान, जहां राजनीतिक माहौल अचानक हल्के-फुल्के मजाक से गरम हो गया।
फडणवीस बोले: “मैं विपक्ष में नहीं आऊंगा, आप आना चाहें तो…”
मुख्यमंत्री ने भाषण में कहा, “उद्धव जी, 2029 तक मेरी तो विपक्ष में आने की कोई संभावना नहीं है। लेकिन अगर आप चाहें तो रास्ता जरूर निकाला जा सकता है। इसके लिए थोड़ा अलग सोचना होगा।” यह बयान मजाक में दिया गया, लेकिन इसमें छिपे राजनीतिक संकेतों ने सबका ध्यान खींचा।
अंबादास की विदाई में उठा पुराना किस्सा
फडणवीस ने याद दिलाया कि अंबादास दानवे कभी बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ता हुआ करते थे। बाद में जब विधान परिषद की सीटें बंटीं, तब वह शिवसेना में चले गए। उनके इसी राजनीतिक सफर के बीच, अब एक और संभावित ‘शिफ्ट’ की बात सामने आ रही है — इस बार खुद उद्धव ठाकरे की।
ठाकरे बोले – यह तो बस हंसी-मजाक था
जब पत्रकारों ने फडणवीस के इस बयान पर ठाकरे की प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा, “ये बातें सदन में मजाक में कही गई थीं, उन्हें उसी तरह लेना चाहिए।” हालांकि, चेहरे के भाव कुछ और ही इशारा कर रहे थे।
फोटो सेशन में सीट को लेकर हुआ असमंजस
बाद में जब समूह फोटो के लिए सीढ़ियों पर नेता जुटे, तो एक और दिलचस्प दृश्य सामने आया। नीलम गोरे ने उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे के बगल में बैठने के लिए सीट दी, लेकिन उद्धव वहां नहीं बैठे। उन्हें दूसरी ओर कुर्सी दी गई, जहां वे बैठे, लेकिन यह दृश्य बता रहा था कि शिवसेना के भीतर खिंचाव अब भी गहराई में मौजूद है।
क्या यह सिर्फ मजाक था या भविष्य की तैयारी?
फडणवीस का यह प्रस्ताव भले ही मजाक में कहा गया हो, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में हर शब्द के मायने होते हैं। क्या यह भविष्य की किसी नई जुगलबंदी की आहट है? यह वक्त बताएगा।