
सावन में दूर करें दोष, करें Trimbakeshwar Jyotirlinga के दर्शन
सावन की शुरुआत और विशेषता
11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहे सावन माह में शिव भक्तों के लिए विशेष संयोग बन रहा है। इस पवित्र माह में Trimbakeshwar Jyotirlinga की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि यहां की गई पूजा कालसर्प दोष को भी दूर कर सकती है।
भक्ति का केंद्र: कहां स्थित है त्र्यंबकेश्वर?
महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर स्थित Trimbakeshwar Jyotirlinga मंदिर, शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर के गर्भगृह में तीन छोटे ज्योतिर्लिंग हैं—ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीकस्वरूप। यहां आकर भक्त शिव की कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाते हैं।
कालसर्प दोष से मुक्ति का अद्भुत स्थल
ऐसी मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर में विधिवत पूजा और रुद्राभिषेक कराने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। सावन सोमवार के दिन इस मंदिर में शिव के दर्शन और जलाभिषेक करने से विशेष लाभ मिलता है।

त्र्यंबकेश्वर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मगिरी पर्वत पर महर्षि गौतम का आश्रम था। उनके प्रति ईर्ष्या रखने वाले ऋषियों ने उन पर गौहत्या का झूठा आरोप लगाया। प्रायश्चित स्वरूप महर्षि गौतम ने गंगा को भूलोक पर लाने के लिए शिव की तपस्या की। शिव प्रसन्न हुए और गंगा को यहां लाने का वरदान दिया।
त्र्यंबकेश्वर में शिव और गंगा का वास
देवी गंगा ने यह शर्त रखी कि यदि शिव स्वयं यहां वास करेंगे, तभी वह भी रहेंगी। तभी शिव त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां स्थापित हुए और मां गंगा ने गोदावरी नदी के रूप में प्रवाहित होना शुरू किया। यह स्थल आज भी गोदावरी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

सावधानी और सुझाव
इस लेख में उल्लिखित उपाय, मान्यताएं एवं कथाएं धार्मिक ग्रंथों और जनश्रुतियों पर आधारित हैं। किसी निर्णय से पहले अपनी समझ और विचारशीलता का प्रयोग अवश्य करें।