झालावाड़ स्कूल हादसा: “मेरे दो ही बच्चे थे” बोले मां के आंसू, प्रशासन पर उठा सवाल

स्कूल हादसे ने छीना मां का सब कुछ झालावाड़ स्कूल हादसा शुक्रवार को कई परिवारों के लिए काल बनकर आया। एक सरकारी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग अचानक ढह गई और 35 मासूम मलबे में दब गए। उन 35 में से सात बच्चों की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हैं। एक मां की टूटी दुनिया “मेरे तो दो ही बच्चे थे… अब किसके लिए जिऊं?” — ये शब्द हैं मीना और कान्हा की मां के, जिनके आंगन में कभी खिलखिलाहट गूंजती थी। अब वहां सन्नाटा है। आंखों से आंसू थम नहीं रहे और जुबां पर बार-बार बस एक ही सवाल है— “भगवान मुझे क्यों नहीं उठा ले गया?” मासूम मीना और कान्हा की दर्दनाक मौत 12 साल की मीना और 6 साल का कान्हा शुक्रवार को स्कूल गए थे, लेकिन लौटे तो सिर्फ शव के रूप में। दोनों भाई-बहनों की जान स्कूल की उस दीवार ने ले ली, जिसे लेकर पहले भी कई बार शिकायत हो चुकी थी। कैसे हुआ हादसा? शुक्रवार सुबह पिपलोड सरकारी स्कूल में प्रार्थना सभा के लिए कक्षा 6 और 7 के छात्र जमा हुए थे। तभी अचानक स्कूल की बिल्डिंग का एक हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा। कुछ ही सेकंड में अफरा-तफरी मच गई और बच्चे मलबे में दब गए। मॉर्च्युरी के बाहर पसरा मातम शनिवार की सुबह झालावाड़ के…

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