Voter List Revision पर SC का बड़ा फैसला | Bihar NRC Controversy Update

Voter List Revision पर मचा बवाल अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर पहुंच गया, लेकिन कोर्ट ने चौंकाते हुए कहा — “हम चुनाव आयोग के काम में दखल नहीं देंगे।”

🔍 सुप्रीम कोर्ट की दो टूक – Voter List Revision जारी रहेगा!

बिहार में चल रहे Voter List Revision पर सियासी और कानूनी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। अदालत ने साफ कर दिया कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया नहीं रोकी जाएगी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, “हम संवैधानिक संस्था के कार्य में दखल नहीं दे सकते।”


⏱ टाइमिंग पर उठे सवाल, लेकिन प्रक्रिया पर रोक नहीं

हालांकि, अदालत ने चुनाव आयोग से यह जरूर पूछा कि इतनी जल्दबाज़ी क्यों? नवंबर में जब अधिसूचना आने वाली है, तब ये स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की क्या जरूरत पड़ गई?


⚖️ याचिकाकर्ता ने दागे सवाल — क्यों हो रही है हड़बड़ी?

याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि इस प्रक्रिया को नया नाम देकर बेहद तेज़ी से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2003 में जब ऐसा किया गया था, तब मतदाताओं की संख्या कम थी, पर अब 7 करोड़ से अधिक वोटर्स को इतनी जल्दी कैसे कवर किया जाएगा?


🧾 दस्तावेज़ों की सूची पर भी सवाल

जस्टिस धूलिया ने मतदाता सत्यापन के लिए पेश दस्तावेज़ों की सूची पर कहा कि वह अधूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि आधार कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड को भी शामिल किया जाए, ताकि यह प्रक्रिया न्यायोचित और पारदर्शी बन सके।


📅 कोर्ट ने सुनवाई टाली, लेकिन मामले को बताया जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला मामूली नहीं है, इसलिए इसे 28 जुलाई को फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा। साथ ही चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।


📌 पूरी रोक नहीं, स्थायी रोक की मांग

याचिकाकर्ता ने यह स्पष्ट किया कि वह अंतरिम नहीं, बल्कि पूर्ण रोक की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ बिहार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर का अभ्यास बन सकता है, जिससे कई संवेदनशील मुद्दे जुड़ते हैं।

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