

20 साल बाद मंच पर साथ: ‘जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने किया’
Raj Thackeray Uddhav Thackeray का ऐतिहासिक मिलन मुंबई की राजनीति में भूचाल ला चुका है। वर्ली में आयोजित मराठी विजय दिवस रैली में जब ये दोनों भाई मंच पर मिले, तो हर किसी की नजरें उन्हीं पर टिक गईं। गले मिलते हुए इन चचेरे भाइयों की ये मुलाकात सिर्फ भावनात्मक नहीं, सियासी संकेतों से भी भरी थी।
🟣 परिवार के साथ पहुंचे दोनों नेता, मंच पर भावनात्मक लम्हा
राज ठाकरे पत्नी शर्मिला, बेटे अमित और बेटी उर्वशी के साथ पहुंचे तो उद्धव ठाकरे भी रश्मि, आदित्य और तेजस के साथ मंच पर दिखे। वर्षों की दूरी के बाद इस तरह सार्वजनिक रूप से मिलना, आने वाले चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से बदल सकता है।
🟢 राज ठाकरे का बड़ा बयान: “महाराष्ट्र राजनीति से बड़ा है”
राज ठाकरे ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा, “मैंने पहले ही कहा था, मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति से बड़ा है।” इसके बाद उन्होंने चौंकाने वाली बात कही— “जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया। उन्होंने हमें साथ लाने का रास्ता बनाया।”
🔵 हिंदी थोपे जाने पर खुला मोर्चा
राज ठाकरे ने हिंदी को जबरन थोपे जाने के मुद्दे पर दो टूक कहा, “हमें हिंदी सीखने के लिए मजबूर किया जा रहा है, क्यों? जब मराठा साम्राज्य ने राज किया, तब हमने मराठी नहीं थोपी।” उन्होंने स्पष्ट कहा कि भाषा कोई बुरी नहीं होती, लेकिन जब इसे जबरन थोपा जाए, तो सवाल जरूर उठता है।
🟠 स्कूल माध्यम पर तीखा तंज: “मराठी स्कूल से मंत्री बने, अंग्रेजी स्कूल से भी”
उन्होंने इस तर्क को भी खारिज किया कि अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई का मतलब मराठी प्रेम की कमी है। कहा, “मैं मराठी स्कूल में पढ़ा, लेकिन मेरे पिता और चाचा अंग्रेजी में पढ़े। क्या कोई उनके मराठी गर्व पर सवाल उठा सकता है?”
🟡 उद्धव ठाकरे की सीधी बात: “अब और इस्तेमाल नहीं”
वहीं, उद्धव ठाकरे ने दो टूक कहा, “अब हमारा इस्तेमाल बंद। जब मुंबई में दंगे हो रहे थे, तब मराठी लोग ही हर हिंदू की रक्षा कर रहे थे।” उन्होंने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा, “हमें हिंदुत्व सिखाने वाले आप कौन?”
🟤 आंदोलन को ‘गुंडागर्दी’ बताने पर तीखा जवाब
उद्धव ने कहा, “अगर मराठी लोगों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को ‘गुंडागर्दी’ कहा जा रहा है, तो हां, हम ‘गुंडे’ हैं जो न्याय मांग रहे हैं।” इस बयान ने रैली को और गर्मा दिया।
🔚 निष्कर्ष: महाराष्ट्र की राजनीति में बदलते समीकरण
Raj Thackeray Uddhav Thackeray का ये मिलन सिर्फ मंच तक सीमित नहीं रहेगा। इसका असर आने वाले चुनावों और गठबंधनों पर गहरा होगा। ‘जो बालासाहेब नहीं कर पाए…’ जैसी पंक्तियां बताती हैं कि अब खेल बदल चुका है।