राज ठाकरे पर सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर होते ही महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है—अब उनके भाषण कानूनी घेरे में हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई नई याचिका
राज ठाकरे पर सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर होने के साथ ही एमएनएस प्रमुख की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अधिवक्ता घनश्याम दयालू उपाध्याय द्वारा दायर इस जनहित याचिका में महाराष्ट्र पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों पर प्राथमिकी दर्ज करे।
🗣️ भाषणों से भाषा विवाद को मिला बढ़ावा?
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज ठाकरे समय-समय पर हिंदी भाषियों के खिलाफ उत्तेजक भाषण देते आए हैं। इससे अलग-अलग भाषा बोलने वाले समुदायों में वैमनस्य पैदा होता है, जो सामाजिक सौहार्द और भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकता है।
🚨 FIR दर्ज करने की मांग
अधिवक्ता का कहना है कि राज ठाकरे के ऐसे भाषण भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आपराधिक मामला बनते हैं। लिहाजा, महाराष्ट्र पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वो इन भाषणों पर तत्काल FIR दर्ज करे और जांच शुरू करे।
❌ एमएनएस की मान्यता रद्द करने की अपील
इस याचिका में भारत के चुनाव आयोग और महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग से एमएनएस की राजनीतिक मान्यता रद्द करने का आग्रह भी किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब एक राजनीतिक दल देश की एकता और भाषा के नाम पर विभाजन को बढ़ावा दे रहा है, तो उसकी मान्यता जारी रखना संविधान के खिलाफ है।
🛑 सरकार को दी गई चेतावनी
याचिका में यह भी मांग की गई है कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार सुनिश्चित करें कि भविष्य में राज ठाकरे या उनके संगठन की तरफ से इस तरह की घटनाएं दोहराई न जाएं। ऐसी हरकतों से सख्ती से निपटने की नीति तय होनी चाहिए।