राहुल गांधी का सियासी शॉट गुजरात से बिहार तक गूंजा
राहुल गांधी चुनाव आयोग बयान एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है। गुजरात के आणंद में पार्टी कार्यक्रम के दौरान राहुल ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए क्रिकेट की भाषा में बड़ा बयान दे डाला— “जब बार-बार आउट होते हैं, तो लगता है हमारी गलती है…लेकिन यहां तो अंपायर ही पक्षपाती है।”
गुजरात में चला कांग्रेस का ‘संगठन सुजन अभियान’
गुजरात कांग्रेस ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। आणंद शहर के पास एक रिज़ॉर्ट में आयोजित शिविर में जिला कांग्रेस अध्यक्षों को रणनीति सिखाई गई। शिविर का समापन 28 जुलाई को होगा, लेकिन उससे पहले ही राहुल गांधी के भाषण ने सियासी हलचल बढ़ा दी है।

‘अगर गुजरात जीत सकते हैं, तो देश में कहीं भी जीत सकते हैं’
राजकोट कांग्रेस अध्यक्ष राजदीप सिंह जडेजा ने बताया कि राहुल ने कार्यकर्ताओं से कहा— जनता से जुड़ो, उनकी आवाज़ बनो और टिकट वितरण से पहले स्थानीय नेताओं से सलाह ली जाएगी। उनका संदेश स्पष्ट था: “गुजरात बीजेपी का गढ़ है। अगर यहां जीत सकते हैं, तो देश में कहीं भी बीजेपी को हरा सकते हैं।”
‘हम हार नहीं रहे, हार दिलाई जा रही है’
कांग्रेस नेता के मुताबिक, राहुल गांधी ने क्रिकेट के उदाहरण से बताया कि कैसे लगातार चुनाव हारने के बाद कांग्रेस खुद को दोषी समझ रही थी। लेकिन उन्होंने कहा कि समस्या भीतर नहीं, बाहर है— यानी चुनाव आयोग की भूमिका संदेह के घेरे में है। उन्होंने दावा किया कि 2017 में कांग्रेस की हार की एक वजह EC की संदिग्ध वोटर लिस्ट थी।

Bihar में SIR को लेकर विपक्ष में नाराज़गी
राहुल के इस बयान के साथ ही बिहार की सियासत भी गरमाई हुई है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया— यानी SIR— को लेकर विपक्षी दल पहले ही चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं। वहीं आयोग ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया बताया है।
सियासी रणनीति से जुड़ा राहुल का बयान या चुनावी हथियार?
राहुल गांधी का ये बयान केवल भावनात्मक टिप्पणी नहीं बल्कि 2025 और 2027 के बड़े चुनावों की नींव रखने वाली रणनीति की ओर भी इशारा करता है। जहां एक ओर पार्टी कार्यकर्ताओं को आत्मविश्वास देने की कोशिश दिखी, वहीं दूसरी तरफ EC पर निशाना साधकर उन्होंने आगामी चुनावी लड़ाई को और आक्रामक बना दिया है।