
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का बार बार श्रेय लेने में जुटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिश को केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर ने ध्वस्त कर दिया है। लोकसभा में चर्चा के दौरान जो तथ्य सामने रखे उससे साफ है कि राष्ट्रपति ट्रंप का दावा पूरी तरह से आधारहीन है।
जयशंकर ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच पहली बार 22 अप्रैल, 2025 (पहलगाम हमले के दिन) और दूसरी बार 17 जून, 2025 (जी-7 शिखर बैठक के दौरान) टेलीफोन पर बात हुई है। जबकि ऑपरेशन सिंदूर सात से नौ मई, 2025 तक चलाया गया और 10 मई, 2025 को पाकिस्तान ने सीजफायर करने का आग्रह किया। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वांस से बात हुई लेकिन इसमें कारोबार को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई।
12 हफ्तों में 22 बार ले चुके श्रेय
श्रेय लेने का कोई भी मौका अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नहीं छोड़ रहे हैं। विगत 12 हफ्तों में राष्ट्रपति ट्रंप कम से कम 22 बार सार्वजनिक मंचों पर यह दावा कर चुका हैं कि भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध उ्होंने ही रुकवाया और इसके लिए उन्होंने दोनों देशों को कारोबार करने का लालच दिया।
जयशंकर ने संसद में क्या बताया?
जयशंकर ने बताया कि, “नौ मई, 2025 को उपराष्ट्रपति जे डी वांस ने फोन पर पीएम नरेन्द्र मोदी से बात की थी और बताया था कि पाकिस्तान की तरफ से अगले कुछ घंटों में बहुत ही बड़ा आक्रमण करने की तैयारी है, इस पर पीएम ने उन्होंने बताया कि अगर ऐसा होता है तो भारत बहुत ही कड़ा जवाब देगा। पाकिस्तान ने नौ और 10 मई को जो हमला किया उसे भारतीय सैन्य बलों ने असफल कर दिया। यह जवाब क्या था आप सभी सैटेलाइट की तस्वीरों में देख सकते हैं। 10 मई को हमें फोन कॉल पर बताया गया कि पाकिस्तान युद्ध बंद करने को तैयार है। इस पर हमने यही कहा कि पाकिस्तान को यह बात डीजीएमओ के जरिए रखनी होगी। अमेरिका के साथ वार्ता में किसी भी स्तर पर ट्रेड पर कोई बात नहीं हुई। साथ ही 22 अप्रैल, 20205 से 17 जून, 2025 के बीच पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बात नहीं हुई थी।”
विदेश मंत्री ने कांग्रेसी सांसदों से पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले क्या आपने कभी सोचा था कि बहावलपुर और मुरीदके (पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डे) पर भारत हमला करेगा। असलियत में आपकी सरकार ने मुंबई हमले के बाद इस तरह की संभावनाओं को खारिज कर दिया था।
‘पाकिस्तान के साथ सिर्फ 3 देश’
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान अभी सदस्य है, जो चुनौतीपूर्ण था लेकिन इसके बावजूद 25 अप्रैल, 2025 को सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और हमलावरों व उनको समर्थन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात की। आतंकी संगठन दे रेसिटेंस फ्रंट (टीआरएफ) का नाम यूएनएससी के बयान से हटवाया और पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इसका श्रेय भी लिया। आज अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर दिया और पाकिस्तान के वहीं विदेश मंत्री इसको मान रहे हैं। हमने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जबरदस्त कूटनीतिक कोशिश। संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य हैं और इसमें से सिर्फ तीन पाकिस्तान के साथ हैं। दुनिया यह स्वीकार कर रही है कि आतंकवाद को सहन नहीं करना चाहिए और जिस देश पर आतंकी हमला होता है उसे अपनी रक्षा के लिए कदम उठाने का अधिकार है।”