एक मिशन, 14 दिन व तीन आतंकी ढेर; क्यों नाम रखा गया Operation Mahadev? जवानों ने ऑपरेशन को कैसे दिया अंजाम

 जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सुरक्षाबलों ने पहलगाम हमले का बदला ले लिया। ऑपरेशन महादेव के तहत सुरक्षाबलों ने पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा को मार गिराया। मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए।

सेना ने कैसे ऑपरेशन महादेव की योजना बनाई

कई दिनों पहले ही इस ऑपरेशन की तैयारी हो गई थी। इस ऑपरेशन का नाम जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित महादेव चोटी के नाम पर रखा गया था।

आतंकवादी महादेव चोटी की तलहटी में घने जंगलों में छिपे हुए थे। सुरक्षा बल इलेक्ट्रोनिक उपकरण से लगातार निगरानी कर रहे थे। सेना को जुलाई की शुरुआत में ही संदिग्ध संदेश मिले थे।

ऐसे पकड़े गए आतंकी

बता दें कि सुरक्षा बलों को चीनी अल्ट्रा-रेडियो संचार के एक्टिव होने की खबर मिली। इसके बाद सेना के जवानों ने यह ऑपरेशन शुरू किया। लश्कर एन्क्रिप्टेड संदेशों के लिए चीनी रेडियो का इस्तेमाल करता है।

यह चोटी काफी ऊंचाई पर है, जहां आतंकवादियों को जंगल युद्ध का प्रशिक्षण दिया जाता है। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले 14 दिनों तक लश्कर और जैश के आतंकवादियों पर नजर रखी।

पाकिस्तान के इशारे पर किया था हमला

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, सुलेमानी ने पहलगाम हमले को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और लश्कर के अपने हैंडलर सज्जाद और काजी सैफ के निर्देश पर अंजाम दिया था। वह दोनों के लगातार संपर्क में था।

हमले के पीछे आइएसआइ व लश्कर का उद्देश्य पूरे भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश व बलोच विद्रोहियों द्वारा जफर एक्सप्रेस पर किए गए हमले से पैदा हुए हालात से आम पाकिस्तानियों का ध्यान हटाना था।

सूत्रों के अनुसार, हाशिम मूसा और उसके साथियों को आइएसआइ व लश्कर ने सिर्फ चुनिंदा हमलों के लिए भेजा था।

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