एक ही दिन में 112 पायलट छुट्टी पर: अहमदाबाद विमान हादसे ने उड़ाई उड़ान सुरक्षा की नींद
Ahmedabad Plane Crash के महज चार दिन बाद एक हैरान करने वाली बात सामने आई—Air India के 112 पायलटों ने एक ही दिन में मेडिकल छुट्टी ले ली। संसद में नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने इस खुलासा करते हुए बताया कि 16 जून को दर्ज की गई ये संख्या सामान्य से कहीं ज्यादा थी।
AI-171 हादसा: दर्दनाक मंजर जिसने हिला दिया देश
12 जून को एयर इंडिया की उड़ान AI-171 अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेक-ऑफ के कुछ ही मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक यात्री जीवित बचा। इतना ही नहीं, विमान के एक इमारत से टकराने के कारण जमीन पर मौजूद 19 लोगों की भी मौत हो गई।
मानसिक दबाव या महज संयोग: क्या पायलटों की छुट्टियां चिंता का कारण?
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 16 जून को छुट्टी पर गए 112 पायलटों में 51 कमांडर और 61 फर्स्ट ऑफिसर शामिल थे। यह एक दिन में इतने बड़े स्तर पर मेडिकल लीव का दुर्लभ मामला है, जिसने DGCA और एयरलाइन सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जमीन पर जान गंवाने वालों के लिए कोई नीति नहीं
मंत्री मोहोल ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल भारत में हवाई दुर्घटनाओं के कारण जमीन पर मारे गए नागरिकों को मुआवजा देने की कोई ठोस नीति नहीं है। यह सरकार के लिए एक गंभीर खालीपन को दर्शाता है, जिसे जल्द भरा जाना चाहिए।
बम की फर्जी धमकियों का सिलसिला जारी
मोहोल ने एक और चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया—2025 में अब तक एयरलाइनों को 69 बार बम की झूठी धमकियां मिल चुकी हैं। साल 2024 में ये संख्या 728 थी। BCAS ने इन हालातों से निपटने के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू किए हैं।
तकनीकी खामियां और दंडात्मक कार्रवाई की झड़ी
21 जुलाई 2025 तक, पांच प्रमुख भारतीय एयरलाइनों ने 183 तकनीकी गड़बड़ियों की सूचना DGCA को दी है। इसमें अकेले Air India Group के पास 85 मामले हैं, Indigo के पास 62 और Akasa Air के पास 28। DGCA ने Air India Express के अधिकारियों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है क्योंकि उन्होंने एयरबस A320 में इंजन से जुड़े दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया।
निष्कर्ष: हादसे से हिला सिस्टम, अब जवाबदेही जरूरी
Ahmedabad Plane Crash न सिर्फ एक दुखद हादसा था बल्कि उसने देश की एविएशन व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। पायलटों की एक साथ छुट्टी हो या ग्राउंड लेवल पॉलिसी की कमी—हर मोर्चे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।